hindisamay head


अ+ अ-

कविता

तन-मन

सुमित पी.वी.


मालिक, जरा कुटिया जाके आऊँ?
बच्ची बीमार पड़ी है
रोने लगी है
झटके में आती हूँ, फिर काम ज्यादा करूँगी

उसकी आँखों में याचक भाव था
इशारे से हाँ को समझ कर वह दौड़ कर गई
उस कुटिया के बाहर
बच्ची को दूध पिलाने लगी
बीच-बीच में आँखें दूर खड़े
मालिक पर!
तुरंत काम पर वापस तन
हाय रे मन, तू है कहाँ?


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ



अनुवाद